आखिरी पन्ना..😑
लिख ही दिया तुमने आखिरी पन्ना...अपनी कहानी का
.....जब किरदार ही न रहे,,,तो अधूरे किस्से किस काम के...😑
यहां पर लिखना किसी पर अहसान नहीं है. कई बार लिखकर हल्केपन का अहसास होता है, कई बार लिखकर एक बोझ कंधों पर बढ़ जाता है. कह देने या लिख देने से पीछा नहीं छूट जाता, उलटा बात पक्की हो जाती हैं और ज़हन में घर कर लेती हैं.
जितना लिखा जाता है उतना ही लिखना रह जाता है. कभी तो सवाल जागता है कि इस डिजिटल सफेद स्लेट पर जो भी उकेरा जा रहा है क्या उसकी कोई उम्र या असर है ... या फिर यूं ही बस एकालाप है..
सुने ना जाने की कसक लिखकर हल्की हो जाती होगी मगर मालूम नहीं कि दिल की धौंकनी से गुद रहे शब्दों के गाढ़ेपन पर किसी ने गौर भी किया है?
हमारी ज़िन्दगी में दो ही लोग मायने रखते हैं। एक वो, जो हमें सारी बुरी आदतों को (जैसे सिगरेट, शराब) छोड़ने पर मजबूर कर देते हैं। दूसरा वो, जो छूट चुकी इन आदतों को वापस हमारी ज़िन्दगी में ला देते हैं।
ये जो दूसरी कैटिगरी के लोग हैं, वो हमारी बहती हुई ज़िन्दगी में जलकुंभी सरीखे होते हैं। बेहद खूबसूरत मगर सेहत के लिए उतनी ही खतरनाक।
कभी-कभी एकदम से दिल दुखता है
जैसे किसी बुरे सपने से चौंक कर उठ बैठा हूँ
सपने की भी याद नहीं रहती
डर भी नहीं लगता
बस बेचैनी होती है
लगता है कि कुछ था, जो अब नहीं है
कभी-कभी दिल दुखता है... बस!
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