#हम_आज़ादी_के_मतवाले_जीव
पंछी देखे हैं छोटे छोटे, प्यारे-प्यारे, रंग-बिरंगे नाज़ुक से, जिन्हें चाहे सोने के पिंजड़े में रख दें, चाँदी की कटोरी में दाना पानी दे दें, हर तरह का ऐशो आराम मुहैया करा दें, शिकारी जानवरों और पक्षियों से लाख सुरक्षा दे दें लेकिन अगर ग़लती से कभी पिंजड़ा खुला कि वह फुर्र से उड़ जाएंगे और फिर दोबारा कभी नहीं आएंगे आपके पास। सोचिये वह तो बेअक़्ल, बेज़ुबान जानवर हैं उन्हें क़ैद में रहना पसंद नहीं। उन्हें पता है कि पिंजड़े के बाहर जाते ही कोई उनका शिकार कर लेगा। कभी दाना मिलेगा कभी भूखे रहना पड़ेगा। कभी पेड़ का साया मिलेगा तो कभी आँधी तूफ़ान में ही रातें गुज़ारनी पड़ेंगी फिर भी आज़ाद हवा में साँसें लेना चाहते हैं चाहे वह साँस आख़िरी ही क्यों न हो। फिर तो जीती-जागती, हाड-माँस की सोचती-समझती, साँसें लेती लड़कियाँ । उन्हे सुनहरी क़ैद कैसे पसंद आएगी जनाब😊